Punjab News: सीएम मान और विपक्षी नेताओं की होगी महा डिबेट, पंजाब सरकार ने बुक कराया हॉल

Punjab News: हाल ही पंजाब के सीएम भगवंत मान ने विपक्षी दलों के अध्यक्षों को खुली डिबेट करने की चुनौती दी थी.  जिसे विपक्षियों ने स्वीकार कर लिया है. वहीं अब मान सरकार ने इस बहस को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी है.1 नवंबर को सीएम भगवंत मान टैगोर थिएटर में विपक्षियों के साथ […]

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Punjab News: हाल ही पंजाब के सीएम भगवंत मान ने विपक्षी दलों के अध्यक्षों को खुली डिबेट करने की चुनौती दी थी.  जिसे विपक्षियों ने स्वीकार कर लिया है. वहीं अब मान सरकार ने इस बहस को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी है.1 नवंबर को सीएम भगवंत मान टैगोर थिएटर में विपक्षियों के साथ डिबेट करेगी. इस डिबेट में पंजाब के बड़े-बड़े नेता आमने सामने होंगे.

गौरतलब है कि, सीएम भगवंत मान ने हाल में विपक्षी पार्टियों के अध्यक्ष को खुले तौर पर बहस करने की चुनौती दी थी. सीएम मान ने यह चुनौती सतलुज यमुना लिंक नहर सहित पंजाब के मुद्दों को लेकर दी थी. वहीं सीएम मान की चुनौती को पंजाब के भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ समेत शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल, प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने स्वीकार कर लिया है. ये सभी लोग सीएम मान के साथ बहस करने को तैयार है.

पंजाब के मुद्दों पर बहस करने की चुनौती-

इस बहस का प्रस्ताव मुख्यमंत्री की तरफ से रखा गया है. मुख्यमंत्री ने सभी राजनीतिक पार्टियों को एसवाईएल सहित पंजाब के मुद्दों पर बहस करने की खुली चुनौती दी थी. जिसे विपक्षी के कुछ नेताओं ने स्वीकार कर लिया है. इस बहस के लिए टैगोर थिएटर में करवाने का सुझाव रखा था. मुख्यमंत्री ने विपक्षी के इस सुझाव पर सहमति जताते हुए हॉल बुक कर लिया है. हालांकि बहस का स्वरूप क्या है अभी ये तय नहीं हुआ है.

मुख्यमंत्री के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार बहस में कौन-कौन हिस्सा लेगा और यह किस दिशा में बढ़ेगी इस बारे में जल्द ही जानकारी दी जाएगी. बहरहाल मुख्यमंत्री द्वारा बहस को लेकर सबकी नजर विपक्ष पर टिकी हुई है. दरअसल, भाजपा के प्रधान सुनील जाखड़ ने बहस की चुनौती को स्वीकार करते हुए सीएम मान से सवाल पूछा था कि वे किसके दबाव में सुप्रीम कोर्ट में घुटने टेके.

शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने इस बहस को लेकर कहा था कि, 1 नवंबर को क्यों 10 अक्टूबर को ही डिबेट कर लेते हैं. अब गेंद विपक्षी पार्टी के पाले में हैं कि क्या वह बहस में भाग लेंगे या नहीं या फिर सीएम पर अपने सवालों का जवाब देने दबाव बनाएंगे.