Amarnath Yatra 2024: इस दिन शुरू होगी अमरनाथ यात्रा, जानिए इस साल कितने दिन खुला रहेगा बाबा बर्फानी का दरबार

Amarnath Yatra 2024: इस साल यानी 2024 में अमरनाथ यात्रा जुलाई से शुरू होगी जो 19 अगस्त 2024 को समाप्त होगी. श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अनुसार, इस साल यात्रा 62 दिन तक चलेगी.

Date Updated
फॉलो करें:

Amarnath Yatra 2024: बाबा बर्फानी के भक्तों के लिए एक गुडन्यूज आई है. इस साल होने वाली अमरनाथ यात्रा का शेड्यूल जारी कर दिया गया है. 2024 में अमरनाथ यात्रा 29 जुलाई से शुरू होगी जो 19 अगस्तको समाप्त होगी. ऐसे में अगर आप भी इस बार बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो यात्रा से जुड़ी सभी जानकारी जान लें.

इस बार अमरनाथ यात्रा का रजिस्ट्रेशन 15 अप्रल से शुरू होगा. देश में आम चुनाव होने वाला है ऐसे में इस बारा इस धार्मिक यात्रा की समयावधि को घटाकर डेढ़ महीने कर दिया गया है.

अमरनाथ गुफा का इतिहास

ऐसा माना जाता है कि अमरनाथ गुफा 5000 साल पुरानी है. कहा जाता है कि इस गुफा को एक चरवाहे बूटा मलिक ने खोजा था. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चरवाहे की मुलाकात यहां एक संत से हुई, जिन्होंने उन्हें कोयले से भरी एक थैली दी. जब चरवाहे घर लौटा और उसने बैग खोला तो वह सोने से भरा हुआ था. उसके बाद चरवाहे संत को ढूंढने वापस लौटा तो उन्हें वहां अमरनाथ गुफा मिली. इसी पवित्र गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता का रहस्य बताया था.

अमरनाथ यात्रा के बारे में

हर साल हिंदू धर्म के लोग अमरनाथ की यात्रा पर जाते हैं और बाबा बर्फानी का दर्शन करते हैं. अमरनाथ गुफा की यात्रा को बहुत पवित्र माना जाता है. हर साल लाखों तीर्थयात्री मोक्ष प्राप्त करने के लिए इस तीर्थयात्रा पर जाते हैं. अमरनाथ गुफा जहां बाबा बर्फानी का दर्शन किया जाता है वह पवित्र गुफा कश्मीर में 3,888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यह श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर है. इस तीर्थयात्रा को करने के दो मार्ग हैं. एक बालटाल से है, सबसे छोटा, और दूसरा पहलगाम से है, जो सबसे लंबा लेकिन पारंपरिक है.

अमरनाथ गुफा में मौजूद शिवलिंग की खासियत

अमरनाथ गुफा में मौजूद शिवलिंग की विशेषता काफी अद्भुत है. इस शिवलिंग की विशेषता यह है कि यह हर साल सर्दी के मौसम में बर्फ से शिवलिंग बनता है. इसी बर्फ से बने शिवलिंग को देखने के लिए हर साल लाखों की संख्या में लोग अमरनाथ गुफा की यात्रा करते हैं. इसे 'चलता हुआ शिवलिंग' भी कहा जाता है क्योंकि ये खुद ब खुद बनता है और खुद ही विलुप्त हो जाता है. मान्यता के अनुसार, यह शिवलिंग भगवान शिव के स्वयं की प्रतिष्ठा है और इसे दर्शन करने का अनुभव अत्यंत पवित्र माना जाता है.