Tulsi Vivah: धूप, दीप और लाल चुनरी के साथ इस दिन मनाएं तुलसी विवाह, जानें पूजा की विधि

मान्यताओं में तुलसी माता के साथ श्रीहरि की पूजा करने से मनचाही इच्छा पूरी होने की बात कही गई है. इस दिन सभी लोग माता तुलसी के हर एक पत्ते पर सिंदुर लगाते हैं. इस बार तुलसी पूजा के दिन और समय को लेकर काफी कंफ्यूजन है. जिसे हम आज आपको क्लियर करेंगे.

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Courtesy: Social Media

Tulsi Vivah: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को हर साल तुलसी विवाह मनाया जाता है. इसी दिन लोग तुलसी की पूजा करते हैं. कहा जाता है कि इस दिन तुलसी की पूजा और विवाहर करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही सारे पापों से मुक्ति मिल जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के रुप कहे जाने वाले शालिग्राम और माता तुलसी के विवाह आयाजन किया जाता है. 

मान्यताओं में तुलसी माता के साथ श्रीहरि की पूजा करने से मनचाही इच्छा पूरी होने की बात कही गई है. इस दिन सभी लोग माता तुलसी के हर एक पत्ते पर सिंदुर लगाते हैं. फिर उनहें चुंदरी उढ़ाया जाता. गन्ना से चारों ओर सजाया जाता है. इस बार लोगों में तुलसी पूजा के दिन को लेकर लोगों में कंफ्यूजन है. कुछ लोग 12 नवंबर तो वहीं कुछ लोग 13 नवंबर को पूजा का शुभ मूहर्त बता रहे हैं.

इस समय करें पूजा

वैदिक पंचांग की मानें तो तुलसी पूजा का सूभ मूहर्त 12 नवबर की शाम 4 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रहा है. वहीं इसका समापन 13 नवंबर को दोपहर 1 बजकर 1 मिनट पर बताया जा रहा है. ऐसे में ज्यादातर लोग 13 नवंबर को ही तुलसी पूजा मनाएंगे. ऐसे में आप भी अपने मन में कोई शंका ना रखें और 13 नवंबर को ही विधिवत पूजा-अर्चना करें.पूजा का शूभ मूहर्त 13 नवंबर की शाम 5:29 बजे से लेकर शाम 7:53 बजे तक रहेगा. ऐसे में आप इस दिन अपने घर में पूजा का आयोजन करें.

ऐसे करें पूजा

तुलसी पूजा के दिन सुबह उठकर स्नान करें. इस दिन लाल रंग का कपड़ा पहनना शुभ माना जाता है. सुबह नहा कर घर और अपने घर के मंदिर की साफ-सफाई करें. इसके बाद व्रत का संकल्प करें और माता तुलसी की विधिवत पूजा-अर्चना करें. इस दिन शाम को अपने घरों-मंदिरों में खूब सारे दीपक जलाएं. ढलते शाम के समय में शालिग्राम जी और तुलसी विवाह करें.

इसके लिए फल, साड़ी और फूल से मंडप सजाएं. फिर तुलसी के पौधे के पास शालिग्राम जी को रखें. इसके बाद शालिग्राम देव को पंचामृत से स्नान कराएं. साथ ही तुलसी माता का 16 शृंगार करें. शालिग्राम भगवान को चंदन लगाएं और पीले वस्त्र से सजाएं. जिसके बाद माता तुलसी और सालिग्राम देव को फूल, माला, फल, पंचामृत, धूप, दीप, लाल चुनरी, शृंगार का सामान अर्पित करें. इसके बाद पूजा और आरती करें. किसी भी तरह की कोई गलती हो जाएं तो तुरंत माफी मांगे और घर में लोगों को प्रसाद बांटे. 
 

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