रोज़मर्रा की जिंदगी पर क्रोनिक पीठ दर्द का असर, जानें कैसे स्टेम सेल थेरेपी बन रही नया समाधान

समय बढ़ने के साथ दर्द नींद, मूड, ऊर्जा और काम की प्रोडक्टिविटी पर भी असर डालता है. कई लोग दर्द के डर से फिजिकल एक्टिविटी से दूर होने लगते हैं, जिससे मसल्स कमजोर होती हैं और समस्या और बढ़ती चली जाती है.

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आज की लाइफस्टाइल में क्रोनिक पीठ दर्द सबसे आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बन चुका है. शुरुआत में हल्का दर्द या असुविधा धीरे-धीरे गंभीर क्रोनिक दर्द में बदल सकता है, जो इंसान के हर काम पर असर डालता है. कंप्यूटर पर बैठना, बिस्तर से उठना या बच्चे को गोद में लेना जैसे साधारण काम भी मुश्किल हो जाते हैं.

समय बढ़ने के साथ दर्द नींद, मूड, ऊर्जा और काम की प्रोडक्टिविटी पर भी असर डालता है. कई लोग दर्द के डर से फिजिकल एक्टिविटी से दूर होने लगते हैं, जिससे मसल्स कमजोर होती हैं और समस्या और बढ़ती चली जाती है.

इलाज न कराने पर क्यों बिगड़ता जाता है दर्द

डॉक्टर के अनुसार क्रोनिक पीठ दर्द को नजरअंदाज़ करना स्थिति को और खराब कर देता है. इससे मांसपेशियां अकड़ने लगती हैं, चलने-फिरने की क्षमता कम होती है और खराब पॉस्चर के कारण रीढ़ पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. लगातार दर्द से रोजमर्रा के काम प्रभावित होते हैं और यह नौकरी, परिवार और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है. धीरे-धीरे जीवन की गुणवत्ता घटने लगती है.दर्द की दवा, फिजियोथेरेपी या सामान्य डॉक्टरों द्वारा दिए गए स्टैंडर्ड ट्रीटमेंट अक्सर सिर्फ अस्थायी राहत देते हैं. दवाओं पर निर्भरता बढ़ सकती है और लंबे समय तक लेने से शरीर पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि सर्जरी भी हमेशा स्थायी समाधान नहीं देती. कई बार शुरुआती समस्या ठीक न होने पर व्यक्ति को लंबे समय तक दर्द और सीमित गतिशीलता का सामना करना पड़ सकता है.

स्टेम सेल थेरेपी से मिलेगी राहत

आधुनिक चिकित्सा में स्टेम सेल थेरेपी तेजी से लोकप्रिय हो रही है. यह शरीर की प्राकृतिक हीलिंग पावर को activate करती है और अंदर से नुकसान को ठीक करने का काम करती है. जब स्टेम सेल को रीढ़ या पीठ के क्षतिग्रस्त हिस्से में डाला जाता है, तो वे कुछ महत्वपूर्ण काम करते हैं. जैसे की खराब मांसपेशियों और टिशू की मरम्मत, सूजन और सूजनजन्य दर्द को कम करना, स्थान पर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाना और रीढ़ की संरचनाओं को मजबूत बनाना. इसके बाद धीरे-धीरे चलने-फिरने की क्षमता बढ़ती है, अकड़न कम होती है और दर्द में स्थायी सुधार दिखता है. यह सिर्फ दर्द को दबाती नहीं, बल्कि उसकी वजह को ठीक करती है. यही इसकी सबसे बड़ी खासियत है.
 

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