PCOS: पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) आज भारतीय महिलाओं में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है. यह हार्मोनल असंतुलन, अनियमित मासिक धर्म और प्रजनन समस्याओं का कारण बनता है. हालांकि इसका कोई त्वरित इलाज नहीं है, लेकिन जीवनशैली में बदलाव और कुछ सप्लीमेंट्स इस स्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं.
डॉक्टर का मानना है कि नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और तनाव प्रबंधन पीसीओएस के लिए आधारभूत हैं. लेकिन कुछ सप्लीमेंट्स हार्मोनल संतुलन और मेटाबॉलिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक हो सकते हैं. हालांकि सप्लीमेंट्स हमेशा विशेषतज्ञों की राय से ही लेनी चाहिए.
इनोसिटोल, खासकर मायो-इनोसिटोल और डी-काइरो इनोसिटोल, पीसीओएस के लिए प्रभावी है. यह इंसुलिन संवेदनशीलता को बेहतर करता है, मासिक धर्म को नियमित करता है और ओव्यूलेशन को बढ़ावा देता है. बांझपन की समस्या से जूझ रही महिलाओं के लिए यह विशेष रूप से फायदेमंद है.
भारतीय महिलाओं में विटामिन डी की कमी आम है. यह कमी पीसीओएस के लक्षणों जैसे अनियमित मासिक धर्म और इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ा सकती है. विटामिन डी की खुराक हड्डियों को मजबूत करने के साथ-साथ हार्मोनल संतुलन और मेटाबॉलिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है.
ओमेगा-3 फैटी एसिड मछली के तेल या अलसी से प्राप्त होता है. यह सूजन को कम करता है, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है और अतिरिक्त एण्ड्रोजन के स्तर को कम करने में मदद करता है. इससे मुंहासे और अनचाहे बालों की समस्या कम हो सकती है. साथ ही, यह हृदय स्वास्थ्य और वजन नियंत्रण में भी सहायक है.
ज़िंक एक महत्वपूर्ण ट्रेस मिनरल है. यह इंसुलिन को नियंत्रित करता है, प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है और बालों के झड़ने, मुंहासों और अत्यधिक बालों की वृद्धि जैसे लक्षणों को कम करता है. पीसीओएस रोगियों में यह चयापचय को बेहतर बनाने में भी मदद करता है.
मैग्नीशियम रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है, तनाव हार्मोन को कम करता है और अच्छी नींद में मदद करता है. इंसुलिन प्रतिरोध से जूझ रही पीसीओएस रोगियों के लिए यह संवेदनशीलता को बढ़ाता है और हार्मोनल संतुलन को बहाल करता है.