World Diabetes Day: दुनिया भर में डायबिटीज का आतंक बढ़ता जा रहा है. जिसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है. डायबिटीज आपकी आंखों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है. खासकर डायबिटीज से संबंधित एक प्रमुख नेत्र समस्या मोतियाबिंद है, जो दृष्टि को धुंधला कर सकती है. इसके अलावा, डायबिटीज की वजह से मैकुलर एडिमा, रेटिनोपैथी, रेटिना टुकड़ी और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ा सकता है.
मोतियाबिंद का इलाज संभव है लेकिन इसे रोक पाना बेहद मुश्किल है. आजकल की आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों से उपचार की सफलता में सुधार आया है. लेकिन ये समस्या हो ही ना इसके लिए आप डायबिटीज से बचने की कोशिश करें. अगर एक बार डायबिटीज आपको हो गया तो कई तरह की बीमरियां हो सकती है.
डायबिटीज से बढ जाती है आंखो की समस्या
आंख में एक प्राकृतिक लेंस होता है जो रोशनी को रेटिना पर केंद्रित करने का काम करता है. जब यह लेंस धुंधला हो जाता है, तो इसे मोतियाबिंद कहा जाता है. डायबिटीज के कारण लेंस में तरल पदार्थ का संचय बढ़ सकता है, जिससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है. डायबिटीज में उच्च रक्त शर्करा की वजह से आंखों के लेंस में सोर्बिटोल नामक पदार्थ बनता है, जो लेंस की पारदर्शिता को प्रभावित करता है.
शोध में बताया गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों में मोतियाबिंद होने की संभावना अधिक होती है. उदाहरण के लिए विस्कॉन्सिन महामारी विज्ञान अध्ययन ने दिखाया कि टाइप 2 डायबिटीज रोगियों में मोतियाबिंद सर्जरी की आवश्यकता 24.9% थी. जबकि टाइप 1 डायबिटीज वाले रोगियों में यह आंकड़ा 83% था. यह अध्ययन यह भी स्पष्ट करता है कि डायबिटीज और मोतियाबिंद के विकास में एक मजबूत संबंध है.
मोतियाबिंद से बचाव के उपाय
1. सख्त ग्लाइसेमिक प्रबंधन: रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखना मोतियाबिंद के खतरे को कम कर सकता है.
2. नियमित नेत्र परीक्षण: मोतियाबिंद और अन्य नेत्र विकारों की पहचान जल्दी करना, प्रभावी उपचार में मदद करता है.
3. रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण: इन समस्याओं को नियंत्रित करके आंखों की सेहत को बनाए रखा जा सकता है.
4. UV लाइट से सुरक्षा: धूप में बाहर निकलते समय UV सुरक्षा वाले चश्मे पहनना, आंखों को मोतियाबिंद से बचा सकता है.
5. स्वस्थ जीवनशैली: संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और धूम्रपान छोड़ने से मोतियाबिंद के जोखिम को घटाया जा सकता है.