SCO Summit: चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भारत ने एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलता हासिल की. इस सम्मेलन में सदस्य देशों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की. तियानजिन घोषणापत्र में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश को दोहराया गया कि 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोहरे मानदंड अस्वीकार्य हैं.' सभी देशों ने पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और दोषियों को जवाबदेह ठहराने की मांग की.
एससीओ सदस्य देशों ने आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ मजबूत प्रतिबद्धता जताई. घोषणापत्र में स्पष्ट किया गया कि किसी भी समूह का इस्तेमाल राजनीतिक या स्वार्थी उद्देश्यों के लिए नहीं होना चाहिए. आतंकवाद से निपटने में संप्रभु देशों और उनकी एजेंसियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया गया. सभी देशों ने एकजुट होकर इन चुनौतियों का सामना करने का संकल्प लिया.
तियानजिन घोषणापत्र में एकतरफा आर्थिक प्रतिबंधों का विरोध किया गया. इन प्रतिबंधों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नियमों के खिलाफ बताया गया. सदस्य देशों ने कहा कि ऐसे कदम वैश्विक सुरक्षा को नुकसान पहुंचाते हैं. ये खाद्य और ऊर्जा आपूर्ति में बाधा डालते हैं और सतत विकास लक्ष्यों को प्रभावित करते हैं. इसके साथ ही, एससीओ के भीतर व्यापार सुविधा समझौते को बढ़ावा देने की बात कही गई. घोषणापत्र में नई दिल्ली में आयोजित 5वें एससीओ स्टार्टअप फोरम की सफलता का स्वागत किया गया. इस फोरम ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में सहयोग को मजबूत किया. साथ ही नई दिल्ली में हुई एससीओ थिंक टैंक फोरम की 20वीं बैठक को भी सराहा गया. भारतीय विश्व मामलों की परिषद (आईसीडब्ल्यूए) में एससीओ अध्ययन केंद्र के योगदान की प्रशंसा की गई, जो सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों को बढ़ावा दे रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ के लिए भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया. उन्होंने इसे तीन स्तंभों सुरक्षा, संपर्क और अवसर पर आधारित बताया. उन्होंने सुरक्षा, शांति और स्थिरता को किसी भी देश की प्रगति की नींव बताया. साथ ही, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए भारत के संपर्क प्रयासों पर जोर दिया. उन्होंने सांस्कृतिक पहलुओं को दुनिया के सामने लाने के लिए एक सभ्यतागत संवाद मंच बनाने का सुझाव दिया. प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को इंसानियत के लिए गंभीर चुनौती बताया. उन्होंने कहा कि भारत चार दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा है. पहलगाम में हालिया हमला इसका क्रूर उदाहरण है. उन्होंने मित्र देशों का आभार जताया जो इस दुख की घड़ी में भारत के साथ खड़े रहे. उन्होंने जोर देकर कहा कि आतंकवाद और अलगाववाद विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं.