Nimisha Priya: यमन में भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा को टाल दिया गया था. अदालत की सजा के मुताबिक 16 जुलाई को प्रिया को फांसी की सजा दी जानी थी. लेकिन सूत्रों ने बताया कि भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों के कारण यह राहत मिली. निमिषा 2017 से सना की जेल में बंद हैं.
केरल के पलक्कड़ जिले की 38 वर्षीय निमिषा प्रिया पर 2017 में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या का आरोप है. मामले पर सुनवाई करते हुए यमन की अदालत ने प्रिया को 2020 में मौत की सजा सुनाई थी. नवंबर 2023 में उनकी अपील को यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने खारिज कर दिया. यह मामला देशभर में चर्चा में रहा.
निमिषा वर्तमान में सना की एक जेल में बंद हैं. जो की हौथी विद्रोहियों के नियंत्रण में है. हौथियों का भारत के साथ कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है. फिर भी, भारत सरकार ने स्थानीय अधिकारियों और जेल प्रशासन से संपर्क बनाए रखा. भारत सरकार ने निमिषा को बचाने के लिए लगातार कोशिशें कीं. विदेश मंत्रालय ने यमनी अधिकारियों से फांसी टालने की अपील की. सूत्रों के अनुसार, भारत ने पीड़ित परिवार के साथ समझौते के लिए और समय मांगा. भारतीय दूतावास ने सऊदी अरब के रियाद से इस मामले की निगरानी की. इन प्रयासों ने फांसी को टालने में अहम भूमिका निभाई.
यमन के शरिया कानून के तहत, पीड़ित परिवार को ‘ब्लड मनी’ देकर सजा माफ कराई जा सकती है. निमिषा के परिवार ने पीड़ित परिवार को 1 मिलियन डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपये) शरिया कानून के तहत देने की पेशकश की है. भारत के सुन्नी मुस्लिम नेता कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुसलियार ने भी मध्यस्थता की. हालांकि, पीड़ित परिवार ने अभी तक इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया. निमिषा की मां प्रेमा कुमारी 2024 से यमन में हैं और अपनी बेटी को बचाने की कोशिश कर रही हैं. उन्होंने बीबीसी से कहा कि मैं बिना निमिषा के वापस नहीं लौटूंगी. परिवार और समर्थकों ने सरकार से और हस्तक्षेप की मांग की है. इस मामले में मदद के लिए केरल के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था.