SCO में गरजे पीएम मोदी, पाकिस्तानी पीएम के सामने आतंकवाद को खरी खोटी

SCO: आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है. इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है. आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई लड़नी होगी. ये बातें पीएम मोदी ने शंघाई शिखर सम्मेलन के दौरान कहीं. पीएम मोदी […]

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SCO: आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है. इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है. आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई लड़नी होगी. ये बातें पीएम मोदी ने शंघाई शिखर सम्मेलन के दौरान कहीं. पीएम मोदी ने बिना किसी देश का नाम लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सामने आतंकवाद को संरक्षण देने वालों को खूब लताड़ लगाई.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं. एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए.

बता दें कि पीएम मोदी अपना ये भाषण शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में दे रहे थे. भारत इसकी मेजबानी कर रहा है. ये एक वर्चुअल सम्मेलन था. पीएम ने इस सम्मेलन में आतंकवाद और पाकिस्तान पर प्रहार करने के साथ ही शांति और विकास के मुद्दे पर भी बातचीत की. मोदी ने कहा कि भारत ने एससीओ में सहयोग के लिए पांच नए स्तंभ बनाए हैं- स्टार्टअप और इनोवेशन, पारंपरिक दवा, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत.

प्रधानमंत्री ने पिछले दो दसकों में एससीओ की महत्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया. मोदी ने कहा कि एशिया में शांति, समृद्धि ओर विकास के लिए हम इस क्षेत्र को न केवल एक विस्तारित पड़ोस के रूप में बल्कि एक विस्तारित परिवार के रूप में भी देखते हैं. मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ की मौजूदगी में खूब खरी खोटी भी सुनाई.

अफगानिस्तान के साथ भारत के सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों का जिक्र करते हुए पीएम बोले कि पिछले दो दशकों में भारत ने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है. 2021 के हालातों के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं. यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या आतंकी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग न की जाए.