कब मनाया जाएगा अक्षय तृतीया? जानें तिथि, समय और पूजा करने का तरीका

अक्षय तृतीया इस बार तिथि 29 अप्रैल के शाम से शुरू हो रही है जो अगले दिन तक रहेगी. उदया तिथि होने के कारण अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन अबूझ मुहूर्त है, इसलिए किसी भी समय कोई भी काम शुरू किया जा सकता है.

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Courtesy: Social Media

Akshaya Tritiya: अक्षय तृतीया यानी आखा तीज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. अक्षय तृतीया के दिन पर दान-पुण्य का खास महत्व होता है. अक्षय तृतीया का दिन किसी नए काम की शुरूआत के लिए सबसे शुभ बताया जाता है

अक्षय तृतीया इस बार तिथि 29 अप्रैल के शाम से शुरू हो रही है जो अगले दिन तक रहेगी. उदया तिथि होने के कारण अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन अबूझ मुहूर्त है, इसलिए किसी भी समय कोई भी काम शुरू किया जा सकता है. इस दिन पर आप अपने घर  सोना, प्रॉपर्टी या वाहन ला सकते हैं. शास्त्रों में इसे युगादि तिथि के नाम से भी बताया गया है. जिसका मतलब है इस दिन युग का प्रारंभ हुआ था. इसलिए इस दिन कोई मुहूर्त दोष नहीं होता है.

कैसे करें पूजा ?

अक्षय तृतीया के शुभ दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद लक्ष्मी नारायण की तस्वीर या मूर्ति के सामने बैठकर उनकी पूजा शुरू करें. भगवान विष्णु को ललाट पर चंदन का तिलक लगाएं और देवी लक्ष्मी को कुमकुम समर्पित करें. भगवान विष्णु को पीले फूल और देवी लक्ष्मी को कमल का फूल चढ़ाएं. फिर जौ, गेहूं, सत्तू, खीरा, चने की दाल, गुड़ आदि चढ़ाना शुभ माना जाता है. इसके बाद आप लक्ष्मी नारायण की कथा कह सकते हैं और पूजा के अंत में आरती करना शुभ माना जाएगा.

क्या कहती है पौराणिक कहानी?

इस दिन पर ब्राह्मणों को भोजन कराना शुभ होता है. इसके अलावा गरीबों को दान दें. ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं. सतयुग, द्वापरयुग और त्रेतायुग की शुरुआत इसी दिन से मानी जाती है. इसी दिन भगवान विष्णु के छठे स्वरूप भगवान परशुराम का जन्म हुआ था. इसी तरह उत्तराखंड में स्थित चारों धामों की यात्रा भी अक्षय तृतीया के दिन ही शुरू होती है. आज के दिन से ही गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलते हैं. ऐसा माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन शुरू किया गया कार्य कई गुना बढ़ता है. इसी तरह इस दिन पाप कर्म करने से बचना चाहिए. 

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