Artificial Intelligence: अब AI की मदद से पता चल सकेगा अचानक होने वाले हार्ट अटैक के बारे में

Artificial Intelligence: अमेरिकन हार्ट असोसिएशन के रिसर्च में ये बताया गया है कि AI तकनीक के इस्तेमाल से काम हो सकती है हार्ट अटैक से होने वाली मौतें

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Artificial Intelligence: AI यानि कि आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस 21वी सदी का ऐसा हथियार है जिसे अगर ठीक से इस्तेमाल किया गया तो ये दुनिया को और आसान बना सकता है. वही अगर इसका इस्तेमाल ठीक से नहीं किया गया तो ये दुनिया तबाह भी कर सकता है. यही वजह है कि AI को लेकर तरह-तरह की बातें होती रहती है. लेकिन आज जिसकी बात हम कर रहे हैं उसमे AI की भूमिका जानलेवा नहीं बल्कि जान बचाने वाली साबित हो सकती है.

दरअसल फिलाडेल्फिया के 'अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन' (American Heart Association) के साइंटिफिक रिसर्च में आज  'ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन' द्वारा संचालित स्टडी के अनुसार, AI मशीन घातक दिल के दौरे के 10 साल के जोखिम की भविष्यवाणी कर सकता है. इतना ही नहीं ये मशीन सीने में दर्द की जांच के लिए सीटी स्कैन कराने वाले मरीजों के लिए उपचार में बदलाव भी ला सकता है. बता दें कि AI टूल के पहले वास्तविक परीक्षण में यह 45 प्रतिशत रोगियों के इलाज में सुधार करता पाया गया है. जिसके बाद ये कहा गया है कि ये AI मशीन हार्ट की बीमारी के मरीज़ो के लिए वरदान साबित हो सकता है. 

 

AI तकनीक बचा सकती है लोगों की जान 

'ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन' द्वारा किये गए रिसर्च में कहा गया है कि AI तकनीक सीने में दर्द से पीड़ित हजारों लोगों की जान बचा सकती है. ऐसे लोग जिनकी पहचान प्रारंभिक तौर पर  दिल के दौरे के खतरे के रूप में नहीं की गई और इसलिए उनके जोखिम को कम करने के लिए उचित उपचार नहीं मिला. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह उन रोगियों के प्रबंधन को बदल सकता है जिन्हें एनएचएस में सीने में दर्द की जांच के लिए भेजा जाता है.

गौरतलब है कि ब्रिटेन में हर साल लगभग 350,000 लोगों का कार्डियक सीटी स्कैन होता है. लेकिन इन लोगों में लगभग तीन चौथाई लोगों  में महत्वपूर्ण संकुचन का कोई स्पष्ट संकेत नहीं होता है, जिसकी वजह से रोगियों को अक्सर सिर्फ आश्वासन देकर छुट्टी दे दी जाती है. लेकिन दुर्भाग्य से भविष्य में इनमे से कई लोग दिल का दौरा पड़ने से मर जाते हैं. क्योंकि सूजन छोटी होने पर पता न चलने वाली सिकुड़न बाद में टूट सकती है, जिससे धमनियां अवरुद्ध हो सकती हैं. बता दें, हाल के दिनों तक जोखिम वाले इन रोगियों की पहचान करने का कोई उपाय नहीं था. 

 

जल्द ही पुरे यूरोप में इस्तेमाल की जा सकेगी AI तकनीक 

दुनिया के पहले पायलट प्रोजेक्ट में, टीम ने लगातार 744 मरीजों के लिए चिकित्सकों को एआई-जनरेटेड जोखिम स्कोर प्रदान किया और पाया कि 45 प्रतिशत मामलों में, चिकित्सकों ने मरीजों की उपचार योजनाओं को बदल दिया, जो दर्शाता है कि यह एआई उपकरण बेहद मूल्यवान हो सकता है. मार्गदर्शन और सूचना देने में कि सीने में दर्द वाले रोगियों का प्रबंधन कैसे किया जाता है, उच्चतम जोखिम वाले लोगों की शीघ्र पहचान और निवारक उपचार सुनिश्चित करना.

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन द्वारा किये गए दुनिया के पहले पायलट प्रोजेक्ट में AI तकनीक के उपयोग से पता चला कि यह एनएचएस के लिए सबसे अधिक  प्रभावी था. इसके साथ ही , वैज्ञानिकों का अनुमान  है कि एनएचएस में इस तकनीक को लागू करने से परीक्षण कराने वालों में 20 प्रतिशत से अधिक कम दिल के दौरे और 8 प्रतिशत कम हृदय संबंधी मौतें और स्ट्रोक हो सकते हैं. बता दें कि पांच एनएचएस अस्पतालों में एक पायलट कार्यक्रम के लिए एनएचएस इंग्लैंड द्वारा पहले से ही AI तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है और शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि इसे जल्द ही पूरे यूरोप में इस्तेमाल किया जा सकता है.