Health Screenings: जीवन में जब हम तीस साल के होते हैं या उससे आगे बढ़ते हैं तो इस समय शरीर में बदलाव शुरू होते हैं. मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ता है. तनाव का स्तर बढ़ सकता है. स्वस्थ रहने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच जरूरी है. सही समय पर जांच से बीमारियों को गंभीर होने से रोका जा सकता है.
उच्च रक्तचाप को 'खामोश हत्यारा' कहा जाता है. इसके लक्षण दिखाई नहीं देते. यह हृदय रोग, किडनी खराबी या स्ट्रोक का कारण बन सकता है. हर 1-2 साल में ब्लड प्रेशर की जांच जरूरी है. अगर रीडिंग ज्यादा हो, तो डॉक्टर बार-बार जांच की सलाह दे सकते हैं. नियमित निगरानी से खतरे को कम किया जा सकता है.
रक्त शर्करा टेस्ट प्री-डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज का पता लगाता है. यह तंत्रिका, किडनी और आंखों की समस्याओं को रोक सकता है. हर तीन साल में यह टेस्ट करवाएं. अगर वजन ज्यादा है या परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, तो सालाना जांच जरूरी है.
उच्च कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक जमा करता है. जिससे हार्ट अटैक का खतरा बनता है. अपने थर्टीज में कुछ भी खाते-पीते हैं, जिसेस कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है.इसका पता लगाने के लिए सही समय पर लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाएं. मोटापा, धूम्रपान या परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो, तो पहले और बार-बार जांच करें. यह टेस्ट LDL, HDL और ट्राइग्लिसराइड्स की जांच करता है.
क्रोनिक किडनी रोग का पता देर से चलता है. जिसकी वजह से खतरा बढ़ता है. लिवर फंक्शन टेस्ट शराब, फैटी लिवर या हेपेटाइटिस से नुकसान का पता भी देर से लगाता है. मधुमेह, उच्च रक्तचाप या शराब पीने वालों को सालाना जांच करानी चाहिए. सीरम क्रिएटिनिन, BUN, eGFR, SGOT, SGPT और बिलीरुबिन टेस्ट जरूरी हैं.
आंखों की जांच दृष्टि के साथ-साथ अन्य बीमारियों का पता लगाती है. यह उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और ग्लूकोमा के संकेत दे सकती है. स्वस्थ लोगों को भी आंखों की जांच करवानी चाहिए. चश्मा पहनने वालों को बार-बार जांच की जरूरत हो सकती है. इससे आंखों की सेहत बनी रहती है.
पुरुषों में अंडकोष कैंसर काफी आम है. त्वचा कैंसर का खतरा भी पुरुषों में ज्यादा है. सालाना स्क्रीनिंग जरूरी है. गोरी त्वचा, पारिवारिक इतिहास या यूवी किरणों के संपर्क में रहने वालों को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए. हर महीने स्वयं जांच करें. गांठ या सूजन होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.
Health Screenings: जीवन में जब हम तीस साल के होते हैं या उससे आगे बढ़ते हैं तो इस समय शरीर में बदलाव शुरू होते हैं. मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ता है. तनाव का स्तर बढ़ सकता है. स्वस्थ रहने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच जरूरी है. सही समय पर जांच से बीमारियों को गंभीर होने से रोका जा सकता है.
उच्च रक्तचाप को 'खामोश हत्यारा' कहा जाता है. इसके लक्षण दिखाई नहीं देते. यह हृदय रोग, किडनी खराबी या स्ट्रोक का कारण बन सकता है. हर 1-2 साल में ब्लड प्रेशर की जांच जरूरी है. अगर रीडिंग ज्यादा हो, तो डॉक्टर बार-बार जांच की सलाह दे सकते हैं. नियमित निगरानी से खतरे को कम किया जा सकता है.
रक्त शर्करा टेस्ट प्री-डायबिटीज और टाइप-2 डायबिटीज का पता लगाता है. यह तंत्रिका, किडनी और आंखों की समस्याओं को रोक सकता है. हर तीन साल में यह टेस्ट करवाएं. अगर वजन ज्यादा है या परिवार में डायबिटीज का इतिहास है, तो सालाना जांच जरूरी है.
उच्च कोलेस्ट्रॉल धमनियों में प्लाक जमा करता है. जिससे हार्ट अटैक का खतरा बनता है. अपने थर्टीज में कुछ भी खाते-पीते हैं, जिसेस कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है.इसका पता लगाने के लिए सही समय पर लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाएं. मोटापा, धूम्रपान या परिवार में हृदय रोग का इतिहास हो, तो पहले और बार-बार जांच करें. यह टेस्ट LDL, HDL और ट्राइग्लिसराइड्स की जांच करता है.
क्रोनिक किडनी रोग का पता देर से चलता है. जिसकी वजह से खतरा बढ़ता है. लिवर फंक्शन टेस्ट शराब, फैटी लिवर या हेपेटाइटिस से नुकसान का पता भी देर से लगाता है. मधुमेह, उच्च रक्तचाप या शराब पीने वालों को सालाना जांच करानी चाहिए. सीरम क्रिएटिनिन, BUN, eGFR, SGOT, SGPT और बिलीरुबिन टेस्ट जरूरी हैं.
आंखों की जांच दृष्टि के साथ-साथ अन्य बीमारियों का पता लगाती है. यह उच्च रक्तचाप, डायबिटीज और ग्लूकोमा के संकेत दे सकती है. स्वस्थ लोगों को भी आंखों की जांच करवानी चाहिए. चश्मा पहनने वालों को बार-बार जांच की जरूरत हो सकती है. इससे आंखों की सेहत बनी रहती है.
पुरुषों में अंडकोष कैंसर काफी आम है. त्वचा कैंसर का खतरा भी पुरुषों में ज्यादा है. सालाना स्क्रीनिंग जरूरी है. गोरी त्वचा, पारिवारिक इतिहास या यूवी किरणों के संपर्क में रहने वालों को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए. हर महीने स्वयं जांच करें. गांठ या सूजन होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.