महिलाओं में क्यों अधिक है थायराइड का खतरा? जानें क्या कहता है साइंस

महिलाओं और पुरुषों में हार्मोनल संरचना अलग होती है. महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन महत्वपूर्ण हैं. ये थायराइड के कामकाज को प्रभावित करते हैं. हार्मोनल असंतुलन से थायराइड विकार हो सकते हैं.

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Courtesy: Social Media

World Thyroid Day: आज के दिन यानी 25 मई को विश्व थायराइड दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने के पीछे खास मकसद थायराइड के बारे में दुनिया भर में जागरूकता फैलाना है. क्योंकि यह समस्या हर 8 में से एक महिला को परेशान करता है. थायराइड की समस्याएं महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा प्रभावित करती हैं. महिलाओं में यह जोखिम पुरुषों की तुलना में 10 गुना अधिक है. 

महिलाएं ऑटोइम्यून रोगों से ज्यादा प्रभावित होती हैं. ये रोग थायराइड विकारों का प्रमुख कारण हैं. हाशिमोटो थायरॉयडिटिस और ग्रेव्स रोग इसके उदाहरण हैं. हाशिमोटो से हाइपोथायरायडिज्म और ग्रेव्स से हाइपरथायरायडिज्म होता है. ऑटोइम्यून रोगों में श्वेत रक्त कोशिकाएं गलती से थायराइड ग्रंथि पर हमला करती हैं. यह ग्रंथि को नुकसान पहुंचाता है. कुछ जीन जो ऑटोइम्यून रोगों का कारण बनते हैं, महिलाओं में ज्यादा पाए जाते हैं. इससे थायराइड विकारों का खतरा बढ़ता है. 

महिलाओं और पुरुषों का हार्मोन 

महिलाओं और पुरुषों में हार्मोनल संरचना अलग होती है. महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन महत्वपूर्ण हैं. ये थायराइड के कामकाज को प्रभावित करते हैं. हार्मोनल असंतुलन से थायराइड विकार हो सकते हैं. मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन में बदलाव होता है. गर्भावस्था में थायराइड हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है. क्योंकि यह भ्रूण के लिए जरूरी होता है. लेकिन इससे थायराइड विकारों का खतरा बढ़ता है. प्रसव के बाद कुछ महिलाओं को थायरॉयड ग्रंथि में सूजन हो सकती है. इसे प्रसवोत्तर थायरॉयडिटिस कहते हैं. रजोनिवृत्ति में एस्ट्रोजन कम होने और वजन बढ़ने से हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है. 

लक्षणों को जल्दी पहचानें

विश्व थायराइड दिवस पर हमें अपना और अपने आस पास के लोगों के थायराइड के बारे में एक बार जांच कराने के लिए प्रेरित करना चाहिए. महिलाओं को अपने 20 की उम्र से ही अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए. थायराइड के लक्षणों को पहचानना जरूरी है. जिसमें थकान, वजन बढ़ना, बाल झड़ना और अनियमित मासिक धर्म लक्षण शामिल है. ऐसा होने पर हमें समय पर जांच और इलाज कराना चाहिए. परेशानी ज्यादा बढ़ न जाए इसलिए थायराइड की जांच नियमित रूप से करवाएं. आहार और जीवनशैली में बदलाव से भी मदद मिल सकती है. लेकिन कोई भी बदलाव करने से पहले चिकित्सक की राय जरूरी है. 

World Thyroid Day: आज के दिन यानी 25 मई को विश्व थायराइड दिवस मनाया जाता है. इस दिन को मनाने के पीछे खास मकसद थायराइड के बारे में दुनिया भर में जागरूकता फैलाना है. क्योंकि यह समस्या हर 8 में से एक महिला को परेशान करता है. थायराइड की समस्याएं महिलाओं को पुरुषों की तुलना में ज्यादा प्रभावित करती हैं. महिलाओं में यह जोखिम पुरुषों की तुलना में 10 गुना अधिक है. 

महिलाएं ऑटोइम्यून रोगों से ज्यादा प्रभावित होती हैं. ये रोग थायराइड विकारों का प्रमुख कारण हैं. हाशिमोटो थायरॉयडिटिस और ग्रेव्स रोग इसके उदाहरण हैं. हाशिमोटो से हाइपोथायरायडिज्म और ग्रेव्स से हाइपरथायरायडिज्म होता है. ऑटोइम्यून रोगों में श्वेत रक्त कोशिकाएं गलती से थायराइड ग्रंथि पर हमला करती हैं. यह ग्रंथि को नुकसान पहुंचाता है. कुछ जीन जो ऑटोइम्यून रोगों का कारण बनते हैं, महिलाओं में ज्यादा पाए जाते हैं. इससे थायराइड विकारों का खतरा बढ़ता है. 

महिलाओं और पुरुषों का हार्मोन 

महिलाओं और पुरुषों में हार्मोनल संरचना अलग होती है. महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन महत्वपूर्ण हैं. ये थायराइड के कामकाज को प्रभावित करते हैं. हार्मोनल असंतुलन से थायराइड विकार हो सकते हैं. मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन में बदलाव होता है. गर्भावस्था में थायराइड हार्मोन का उत्पादन बढ़ता है. क्योंकि यह भ्रूण के लिए जरूरी होता है. लेकिन इससे थायराइड विकारों का खतरा बढ़ता है. प्रसव के बाद कुछ महिलाओं को थायरॉयड ग्रंथि में सूजन हो सकती है. इसे प्रसवोत्तर थायरॉयडिटिस कहते हैं. रजोनिवृत्ति में एस्ट्रोजन कम होने और वजन बढ़ने से हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है. 

लक्षणों को जल्दी पहचानें

विश्व थायराइड दिवस पर हमें अपना और अपने आस पास के लोगों के थायराइड के बारे में एक बार जांच कराने के लिए प्रेरित करना चाहिए. महिलाओं को अपने 20 की उम्र से ही अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए. थायराइड के लक्षणों को पहचानना जरूरी है. जिसमें थकान, वजन बढ़ना, बाल झड़ना और अनियमित मासिक धर्म लक्षण शामिल है. ऐसा होने पर हमें समय पर जांच और इलाज कराना चाहिए. परेशानी ज्यादा बढ़ न जाए इसलिए थायराइड की जांच नियमित रूप से करवाएं. आहार और जीवनशैली में बदलाव से भी मदद मिल सकती है. लेकिन कोई भी बदलाव करने से पहले चिकित्सक की राय जरूरी है. 

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