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बशर अल-असद का सीरिया से निकलना नहीं था आसान, रुसी एजेंटों ने ऐसे बनाया पूरा प्लान

Bashar al-Assad: सीरिया में 55 सालों से सत्ता में काबिज अल-असद परिवार का पतन हो चुका है. विद्रोहियों द्वारा हमला के बाद राष्ट्रपति बशर अल असद अपने परिवार के साथ रुस भाग गए.हालांकि उनका यहां से निकलना इतना आसान नहीं था. इसके लिए रुसी एजेंटों ने पूरी प्लानिंग की थी.

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Courtesy: Social Media

Bashar al-Assad: सीरिया में विद्रोहियों ने अल-असद को हटा कर देश पर कब्जा कर लिया है. इस दौरान वहां के बशर अल-असद सरकार को कुर्सी छोड़कर देश से भागना पड़ा. यहां से भागने के बाद अल-असद अपने परिवार के साथ रुस में शरण लेने पहुंचे.  विद्रोहियों द्वारा सीरिया के प्रमुख शहरों पर कब्जा करने के साथ ही असद की स्थिति बेहद कमजोर हो गई थी. रूस लंबे समय से असद का प्रमुख सहयोगी था.  उसने ही सही पर उन्हें देश छोड़ने की सलाह दी और उनकी सुरक्षा को लेकर पूरी योजना बनाई.

रूसी खुफिया एजेंटों ने असद को सीरिया छोड़ने के लिए राजी किया. यह सुनिश्चित करते हुए कि वह सुरक्षित रूप से देश से बाहर निकल सकें. रूस ने अपनी सैन्य और खुफिया ताकत का उपयोग कर एक आपातकालीन निकासी ऑपरेशन तैयार किया. इसके तहत असद को देश से बाहर निकालने के लिए एक विमान की व्यवस्था की गई थी.

रडार से गायब हुआ फ्लाइट

सीरिया से निकलते वक्त फ्लाइट ट्रैकिंग से बचने के लिए विमान का ट्रांसपोंडर बंद कर दिया गया. इसी दौरान जब विमान रडार से गायब हुआ तो असद के मरने की अफवाहें फैलने लगी. हालांकि बाद में यह पता चला कि असद और उनका परिवार सुरक्षित रूप से रूस पहुंच चुके थे. इस घटना के बाद बशर अल-असद के शासन का आधिकारिक रूप से अंत हो गया. उनका वंश जो करीब आधी सदी से सीरिया पर शासन कर रहा था उनका अब देश में कोई लिंक नहीं रहा. असद के पिता हाफिज़ अल-असद ने 1971 से 2000 तक देश पर शासन किया था. उनके बाद उनके छोटे बेटे बशर ने सत्ता संभाली थी. असद के जाने के कुछ ही घंटों बाद विद्रोहियों ने दमिश्क में प्रवेश किया और लगभग 14 वर्षों से चल रहे सीरियाई संघर्ष में अपनी जीत का दावा किया.

दुनिया के सबसे अमीर शरणार्थी का दर्जा

बशर अल-असद और उनके परिवार के रूस जाने के बाद सीरिया में सत्ता की दिशा में बड़े बदलाव आए. मिल रही जानकारी के मुताबिक असद ने अपने साथ 135 अरब डॉलर की संपत्ति भी ले गए. इसी के साथ दुनिया के सबसे अमीर शरणार्थी का दर्जा प्राप्त हुआ. हालांकि उनका देश छोड़ने के बाद सीरिया में विद्रोहियों की स्थिति मजबूत हो गई और वे कई महत्वपूर्ण शहरों पर कब्जा करने में सफल रहे. रूस का यह कदम असद को बचाने के लिए समय पर उठाया गया था. यदि रूस इस हस्तक्षेप को न करता तो असद का भी वही हश्र हो सकता था जो लीबिया के पूर्व शासक मुअम्मर गद्दाफी या इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन का हुआ था. रूस ने असद को सत्ता से बाहर निकालने का कदम उठाया ताकि वह एक खूनी संघर्ष और संभवतः अपनी जान के खतरे से बच सकें.

वैश्विक राजनीति में पॉवर का इस्तेमाल

यह पहली बार नहीं है जब रूस ने किसी नेता की आपातकालीन निकासी की व्यवस्था की है. 2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को भी रूस ने सत्ता से बाहर होने के बाद सुरक्षित निकासी की व्यवस्था की थी. जब वे रूस विरोधी विद्रोह के कारण सत्ता से बेदखल हो गए थे. असद का भविष्य अब रूस की शरण में सुरक्षित तो है लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या वह कभी वापस सीरिया लौटेंगे या उनका राजनीतिक जीवन समाप्त हो चुका है. रूस द्वारा असद को बचाने का कदम इस बात का संकेत है कि वैश्विक राजनीति में रूस अपनी ताकत और प्रभाव का इस्तेमाल कर रहा है.

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