ईरान के परमाणु रणनीति में हो सकता है बदलाव! संसद में इस बदलाव पर हुई चर्चा

ईरान की संसद सत्र में तेहरान के सांसद महमूद नबावियन ने परमाणु हथियार बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि ईरान को उन तमाम हथियारों से लैस करना चाहिए जो हमारे दुश्मन देशों, यानी अमेरिका और इजराइल के पास हैं.

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Courtesy: Social Media

Iran Nuclear Policy: ईरान में अपनी परमाणु रणनीति को लेकर एक बड़ा बदलाव हो सकता है. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी और पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव के बीच ईरानी अधिकारी अब अपनी रक्षा नीति में बदलाव की वकालत कर रहे हैं. इस दौरान ईरान के सांसदों ने भी परमाणु हथियार बनाने की मांग की है.

रविवार को ईरान की संसद सत्र में तेहरान के सांसद महमूद नबावियन ने परमाणु हथियार बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि ईरान को उन तमाम हथियारों से लैस करना चाहिए जो हमारे दुश्मन देशों, यानी अमेरिका और इजराइल के पास हैं. नबावियन का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ईरान के 39 सांसदों ने देश की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से परमाणु हथियारों की नीति पर पुनर्विचार करने की अपील की है.

आदेश में बदलाव संभव

ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के एक फतवे में यह कहा गया था कि ईरान बड़े पैमाने पर विनाशकारी हथियारों को बनाने से बचेगा. हालांकि, हाल ही में खामेनेई के वरिष्ठ सलाहकार कमान खराजी ने संकेत दिए हैं कि वह इस आदेश में बदलाव कर सकते हैं. इस बयान ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर एक नई बहस को जन्म दिया है.

कूटनीति के दरवाजे अभी भी खुले

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद अराघची ने भी परमाणु हथियारों को लेकर नीति में बदलाव के संकेत दिए हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ईरान के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित करती है, तो ईरान बिना झिझक अपनी परमाणु रणनीति में नए उपायों को लागू करेगा. अराघची ने यह भी कहा कि ईरान के लिए कूटनीति के दरवाजे अभी खुले हैं. लेकिन अगर दूसरे पक्ष की ओर से वास्तविक इच्छाशक्ति नहीं दिखती, तो ईरान वैकल्पिक रास्ते अपनाने को तैयार है.

विदेश मंत्री ने क्या कहा

ईरान के विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका देश 2025 तक अपने परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ लगे प्रतिबंधों के समाप्त होने के बाद पश्चिमी देशों से किसी समझौते की उम्मीद करता है. अक्टूबर 2025 तक, ईरान के खिलाफ ज्यादातर प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे और इसके बाद पश्चिमी देश ईरान पर नए प्रतिबंध नहीं लगा सकेंगे.

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