Lifestyle News: कितना खतरनाक हो सकता है छींक को रोकना, जानिए क्या कहता है साइंस?

Lifestyle News: मानव शरीर के अंदर छींक आना एक आम बात है. लेकिन सर्दी जुखाम के समय ये लोगों को अधिक प्रभावित करती है. ये कोई रोग या लक्षण नहीं है. यह मानव शरीर कि सुरक्षा के लिए रिफ्लेक्स एक्शन है जो हमारे नाक के अंदर से गैर जरूरी पदार्थों को निकालने की प्रक्रिया होती […]

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Lifestyle News: मानव शरीर के अंदर छींक आना एक आम बात है. लेकिन सर्दी जुखाम के समय ये लोगों को अधिक प्रभावित करती है. ये कोई रोग या लक्षण नहीं है. यह मानव शरीर कि सुरक्षा के लिए रिफ्लेक्स एक्शन है जो हमारे नाक के अंदर से गैर जरूरी पदार्थों को निकालने की प्रक्रिया होती है.

छींक रोकने को लेकर क्या कहते है विशेषज्ञ?

मानव द्वारा कसरत करने के दौरान ली जाने वाली गहरी और तीव्र सांस छींक के दौरान हवा का दवाब 30 गुना ज्यादा होता है. कई बार हम नाक को दबाकर छींक को रोकते है. लेकिन क्या ऐसा करना ठीक है? मगर विशेषज्ञ कहते है ऐसा कर उचित नहीं है. बता दे कि, जब हमारी नाक में खुजली पैदा करने वाला कोई भी वायरस, बैक्टीरिया या कोई भी अवांछित तत्व प्रवेश करता है तो नाक में की संवेदी तंत्रिका में उत्तेजन होता है तब छींक की प्रक्रिया शुरू होती है.

छींक कैसे रोकी जाए?

छींक को रोकने के लिए कई तरह के सुझाव दिए गए हैं. इसमें कान खींचने से लेकर जीभ को दातों के बिकच रखने, या नाक को छूने जैसे उपाय बताए जाते है. ये सभी सुझाव वास्तव में ट्राइगेमिनल स्पर्श तंत्रिका को उत्तेजन देते हैं जिनका मकसद अंतरतंत्रिकाओं को यह बताना है कि गेट को बंद कर दें. इससे असहजता या बेचैनी पैदा करने वाले संकेत दिमाग तक जाने से रुक जाएंगे और छींक की प्रक्रिया ही रुक जाएगी.